इंदौर में 50 बिस्तर वाले हॉस्पिटल को सील करने और संचालक पर FIR के मामले में चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। 6 साल से संचालित इस हॉस्पिटल को लेकर मुख्यमंत्री ऑफिस में शिकायत की गई थी। जब वहां से कॉल आया तो इधर आनन-फानन में हॉस्पिटल पर कार्रवाई की गई।
हॉस्पिटल संचालक अजय हार्डिया के पास न तो मेडिकल की डिग्री थी। न ही यहां इलाज कर रहे डॉक्टर क्वालिफाईड थे। पुलिस ने आरोपी संचालक के खिलाफ मप्र चिकित्सा शिक्षा (नियंत्रण) अधिनियम 1973 की धारा 8 (2) के तहत केस दर्ज किया है। इस धारा में 50 हजार रुपए का जुर्माना और दो साल तक सजा का प्रावधान है।
पढ़िए किस डिग्री के आधार पर हॉस्पिटल में काम कर रहे थे डॉक्टर…।
ये कहानी है देवी अहिल्या हॉस्पिटल रिसर्च सेंटर एंड पैथलॉजी की। बिना रजिस्ट्रेशन के चल रहे इस अस्पताल के डायरेक्टर अजय हार्डिया के पास इलेक्ट्रो होम्योपैथी की डिग्री थी। यहां कई बीएचएमएस, बीईएमएस, बीडीएस डिग्री धारी डॉक्टर काम कर रहे थे। हार्डिया खुद को कैंसर स्पेशलिस्ट बताकर इलाज करते थे। जांच में पता चला कि उनके पास इलेक्ट्रो-होम्योपैथिक की डिग्री है। यह डिग्री भारत में मान्य चिकित्सा पद्धति में शामिल नहीं है।
अधिकारियों ने अस्पताल को सील करने की ऐसे रची कहानी
मुख्यमंत्री ऑफिस से कलेक्टर आशीष सिंह के पास हॉस्पिटल पर कार्रवाई को लेकर फोन आया। इसके बाद प्रशासन 1 मार्च को मौके पर पहुंचा। जांच की तो यहां अधिकांश डॉक्टर ऐसे मिले जो एलोपैथी से नहीं जुड़े थे। प्रशासन ने जब कड़ी छानबीन की तो कई प्रकार की गड़बड़ियां मिली।
जांच टीम ने पूरी रिपोर्ट बनाकर कलेक्टर आशीष सिंह को सौंपी। इसके बाद इसे सील करने की तैयारी की गई। पहले नगर निगम से सारे दस्तावेज खंगाले गए। मरीजों की शिफ्टिंग शुरू हुई। टीम ने जब हॉस्पिटल पर छापा मारा तब 9 मरीज एडमिट थे।
सीएमएचओ को मामले में एफआईआर दर्ज कराने को कहा गया। 7 मार्च को प्रशासन ने रात में हॉस्पिटल सील किया। 11 मार्च की रात स्वास्थ्य विभाग ने इस मामले में एफआईआर दर्ज कराई। यह एफआईआर संयोगितागंज जोन के मेडिकल ऑफिसर डॉ. अजय गुप्ता द्वारा दर्ज कराई गई है। इसमें प्रशासन की पूरी रिपोर्ट का हवाला दिया गया।
हॉस्पिटल का रजिस्ट्रेशन नहीं था। – एसडीएम घनश्याम धनगर 50 बिस्तर का हॉस्पिटल संचालित किया जा रहा था। हॉस्पिटल में इलेक्ट्रिक सेफ्टी और फायर सेफ्टी से संबंधित दस्तावेज नहीं थे। मौके पर भी आग बुझाने के उपकरण नहीं मिले। लम्बे समय से इसका व्यवसायिक उपयोग हो रहा था, इसकी अनुमति नहीं थी। टीम ने लैब का निरीक्षण किया। वहां फार्म लीन में रखे मानव अंग मिले। जब पैथलॉजी का रजिस्ट्रेशन दिखाने को कहा तो हॉस्पिटल प्रबंधन डॉक्यूमेंट नहीं दिखा पाया। ऐसे ही पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड संबंधित अनुमति भी नहीं ली गई थी। हॉस्पिटल ने बायो मेडिकल वेस्ट डिस्पोजल का भी उल्लंघन किया। देवी अहिल्या हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर एंड पैथलॉजी के डायरेक्टर अजय हार्डिया। देवी अहिल्या हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर एंड पैथलॉजी के डायरेक्टर अजय हार्डिया। हार्डिया के खिलाफ अब तक छह एफआईआर
अजय हार्डिया के खिलाफ इससे पहले भंवरकुआ थाने में तीन, संयोगितागंज थाने में एक, शिप्रा थाने में एक एफआईआर दर्ज है। अब हुई कार्रवाई को मिलाकर छह एफआईआर हो चुकी है। इस बार सीएम हॉउस में शिकायत हुई थी। इसलिए सख्त कार्रवाई करनी पड़ी।