ग्वालियर के योगा ट्रेनर प्रबल कुशवाह की चीन में संदिग्ध हालात में मौत हो गई थी। उसका शव 89 दिन बाद सोमवार (18 मार्च) को ग्वालियर लाया गया। कफन में लिपटे अपने बेटे को देखकर परिजन फूट-फूटकर रोने लगे। सोमवार शाम को ही प्रबल का अंतिम संस्कार किया गया।
परिजन को 23 दिसंबर 2023 को बेटे की मौत होने का पता चला था। जिसके बाद से ही शव को भारत लाने की कोशिश की जा रही थी। भारतीय दूतावास के हस्तक्षेप के बाद शव लाया जा सका। प्रबल की मौत के करीब 3 महीने बाद उसका शव काला पड़ चुका था।
प्रबल कुशवाह योगा ट्रेनर था। पिता सुरेंद्र कुशवाह टैक्सी चालक है। इनका परिवार ग्वालियर के माधौगंज स्थित रॉक्सी पुल क्षेत्र में रहता है। फरवरी 2023 में प्रबल को चाइना के बीजिंग से योग सेंटर में नौकरी के लिए ऑफर मिला था। इसे करियर का टर्निंग पॉइंट मानकर वह चीन चला गया था।
19 दिसंबर 2023 को पिता की अपने इकलौते बेटे से बात हुई थी। इसके बाद से लगातार बेटे का फोन बंद आ रहा था। परिजन को शंका हुई तो उन्होंने चाइना में उसे बुलाने वाली सू-चाइना और मिस रोजी से संपर्क किया। उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया। इसके बाद जब संपर्क हुआ तो बताया गया कि प्रबल ने फांसी लगा ली है। इसके बाद से परिवार सदमे में था।
परिजन को 23 दिसंबर 2023 को जब बेटे की मौत का पता चला। तब से ही परिवार में मातम पसर गया। माता-पिता तीन महीने से सदमे में रहे। सोमवार को जब शव घर पहुंचा तो माता-पिता की आंखों से आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे। हर कोई गमगीन दिखा।
प्रबल की मौत के बाद शव ग्वालियर लाने के लिए परिजन ने विधायक से लेकर केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तक मदद की गुहार लगाई थी। भारतीय दूतावास के हस्तक्षेप के बाद चीन से शव भारत लाया जा सका।
पिता बोले- करियर के लिए भेजा था विदेश
प्रबल के पिता सुरेंद्र कुशवाहा ने बताया कि बेटे को बचपन से ही योग का शौक था। उसने बेंगलुरु से कोर्स भी किया था। चाइनीज समेत कई भाषाएं सीखीं, ताकि विदेश जाने का मौका मिले। उसे चीन के बीजिंग से ऑफर आया था। उसे भेजते समय हमें डर भी था, क्योंकि इकलौता बेटा था। फिर भी उसकी तरक्की के लिए दिल पर पत्थर रख लिया था।