Saturday, July 27, 2024
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पुलिसवाले से ही हुआ फ्रॉड

पुलिस की एसबी शाखा में पदस्थ एसआई शंभूसिंह के पास रिटायर्ड एसडीओपी एसएन मुखर्जी की मैसेंजर आईडी से कुछ मेसेज आए। अफसर के सम्मान में एसआई शंभू सिंह ने अपना मोबाइल नंबर ये कहते हुए दे दिया कि सर मैं मैसेंजर बहुत कम चलाता हूं आप व्हाट्सएप कीजिए। फिर भी मैसेंजर पर ही सामने से हुबहू एसएन मुखर्जी की आवाज में किसी ने बात की कि शिवपुरी सीआईएसएफ में पदस्थ मेरे दोस्त का तबदला हो गया है वो सामान बेच रहा है। मैं उसको बोल रहा हूं वो तुमसे बात करेगा।

शंभू सिंह ने कहा कि सर मेरे पास तो सामान है मुझे जरूरत नहीं है। इतने में सामने वाला शख्स बोला कि एक बार देख लो कोई बुराई नही है, मैं अभी जल्दी में हूं तुम उससे बात कर लेना। इसके बाद कॉल कट गया। शंभू सिंह कुछ समझ पाते इससे पहले उनके मोबाइल नंबर पर मोबाइल नंबर 9678760346 से एक कॉल आ गया कि एसडीओपी सर ने आपका नंबर दिया है। मेरा शिवपुरी से ट्रांसफर हो गया है आज नाइट को ही जम्मू निकलना है। मैं सिर्फ 60 हजार में एसी, दो डबलबेड, तीन सोफा, इन्वर्टर, फ्रिज, एलईडी, वाशिंग मशीन, ड्रेसिंग टेबल, डायनिंग टेबल बगैरह सामान बेच रहा हूं। आप देख लें आपको सामान के फोटो वाट्सअप कर देता हूं।

फिर उसने जो फोटो भेजे उन्हें देखकर सौदा कहीं से भी बुरा नही लगा। एक पुलिस वाला और वो भी स्पेशल ब्रांच का होने के कारण एसआई शंभू सिंह को ये कल्पना भी नहीं थी कि जालसाज मिलकर उन्हें अपने जाल में फसा रहे हैं। उन्होंने सौदा डन कर दिया। सामने से सीआईएसएफ के कथित अफसर ने एक बैंक अकाउंट नंबर देकर 30 हजार रूपए अकाउंट में जमा करने का कहा। मनी ट्रांसफर फैल होने से सामने वाले ने दूसरे अकाउंट नंबर दिए। इधर शंभू सिंह ने अनेक प्रयासों के बाद ठग द्वारा भेजे गए अकाउंट नंबरों में पहले 5 हजार रूपए फिर 25 हजार रूपए इस तरह कुल 30 हजार रूपए ट्रांसफर कर दिए।

थोड़ी देर बाद सीआईएसएफ के कथित अफसर ने सामान पैक कर रहे लोगों और समान से लोडेड ट्रक का फोटो भेज कर 30 हजार रूपए जमा की तथा 30 हजार रुपए बाकी होने की एक रसीद और सीआईएसएफ कैम्पस का एक गेटपास भी व्हाट्सएप पर सेंड कर दिया। और ट्रक भाड़े के 20 हजार रूपए और फिर पेनल्टी के 1500 रुपए भी अकाउंट में डलवा लिए। सब कुछ इतना शातिराना अंदाज में चल रहा था कि कोई भी ये नही सोच पाए की कहीं कोई ठगी हो रही है।

थोड़ी देर बाद फिर मोबाइल नंबर 8144081577 से फोन आया कि पुलिस ने रास्ते में ट्रक रोक लिया है 20 हजार रूपए मांग रहे हैं, आप भिजवा दो। अब एसआई शंभूसिंह का माथा ठनका, उन्होंने ट्रक रोकने वाले संबंधित पुलिस वाले से बात कराने का कहा लेकिन सामने से रिस्पॉन्स नहीं मिला। इस बीच शंभू सिंह ने अपने एक दोस्त को शिवपुरी फोन लगाया और ट्रक छुड़वाने की बात कही। दोस्त ने कहा कि शिवपुरी में तो सीआईएसएफ है ही नहीं, यहां पर एसएएफ है और यहां ऐसा कोई ट्रक नही है। तब शंभू सिंह को लगा कि कुछ गड़बड़ है, उनके साथ ठगी चल रही है।

इसके बाद भी ठग पूरे विश्वास के साथ बात करते रहे और वे एसएसआई शंभू सिंह के दोस्त की बातों को झुठलाते हुए ट्रक छुड़वाने के लिए 20 हजार रुपए खाते में डालने का दबाव बनाते रहे। हालांकि, तब तक एसएसआई शंभू सिंह की पत्नी और भाजपा महिला मोर्चा की जिलाध्यक्ष राजेश राजपूत को पूरे मामले की जानकारी हो गई थी और उन्हें समझ आ गया था कि पति के साथ ठगी हो चुकी है। इसके बाद इस पूरी धोखाधड़ी की जानकारी सायबर सेल को दी गई। पुलिस ठगों का पता लगाने में जुट गई है।

ठगों के मोबाइल फोन बंद हैं। पेंशनरी एसडीओपी एसएन मुखर्जी की नकली फेसबुक आईडी बनाकर धोखाधड़ीकर्ताओं ने यह ठगी की है। एसएन मुखर्जी पूरे इस घटनाक्रम से अनजान हैं। बताया जा रहा है कि एआई या वॉयस क्लोन एप का उपयोग कर ठगों ने एसएसआई शंभू सिंह को धोखाधड़ी की आवाज की हुबहू नकल करते हुए उन्हें ऐसी चालाकी से फंसाया कि वे कुछ समझ ही नहीं सके। वे अभी भी यकीन नहीं कर पा रहे हैं कि कोई धोखाधड़ी आवाज और शैली में बात कैसे कर सकता है।

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