सिटिजनशिप अमेंडमेंट एक्ट (CAA) के लागू होने से भोपाल के 400 से अधिक लोगों की भारत की नागरिकता मिलने की राह आसान हो जाएगी। वे भोपाल में लॉन्ग टर्म वीजा (LTV) पर रह रहे हैं, लेकिन उन्हें भारत में रहते 7 साल पूरे नहीं हुए हैं। इस कारण वे नागरिकता पाने के पात्र नहीं थे। अब 7 की बजाय 5 साल अवधि हो गई है। ऐसे में वे आवेदन कर सकेंगे। अधिकांश सिंधी समाज के हैं।
ईदगाह हिल्स, बैरागढ़ (संत हिरदाराम नगर) और टीला जमालपुरा में 500 से अधिक सिंधी, सिख समुदाय के लोग लॉन्ग टर्म वीजा पर भोपाल में टेंपरेरी तौर पर रह रहे हैं। वे सभी पाकिस्तानी नागरिक हैं, जिनका परमानेंट पता सिंध प्रांत है। LTV के जरिए वे भारत की नागरिकता पाना चाहते थे।
अब तक 400 लोगों को मिली नागरिकता
सिंधु सेना के अध्यक्ष राकेश कुकरेजा ने बताया कि CAA लागू होने से भोपाल में सिंध प्रांत से आए लगभग 400 लोगों को फायदा मिलेगा। पहले इतने ही लोगों को नागरिकता मिल चुकी हैं। पाकिस्तान के सिंध प्रांत में रह रहे सिंधी समाज के लोग भारत आना चाहते हैं, लेकिन कठिन नियमों के कारण नहीं आ पा रहे हैं। नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) कानून लागू होने से वे भारत आ सकेंगे। सीएए के बाद उन्हें नागरिकता भी मिलेगी, और देश में रहने का अधिकार भी।
![सीएए लागू होने के बाद भोपाल में जमकर आतिशबाजी हुई।](https://images.bhaskarassets.com/web2images/521/2024/03/12/c09c8314-16a4-44d2-a829-b08f820b02ba1710176115914_1710250714.jpg)
अत्याचार होने के बाद भारत आए सिंधी-सिख
सिंधी समाज के वासुदेव वाधवानी ने बताया कि पाकिस्तान में सिंधी, सिख समुदाय के साथ अत्याचार होने के बाद वे सबकुछ छोड़कर भारत में रहने लगे। भोपाल-इंदौर समेत प्रदेश के कई शहरों में वे रह रहे हैं। वे भारतीय नागरिकता लेने के लिए कई बार गुहार भी लगा चुके थे, लेकिन नियमों के चलते उन्हें नागरिकता नहीं मिल पाई। सीएए लागू होने से उन्हें आसानी से भारतीय नागरिकता मिल सकेगी। नागरिकता मिलने के बाद उन्हें सारी सुविधाएं भी मिलने लगेगी।
2016 में कलेक्टरों को दिए थे अधिकार
पहले केंद्र सरकार ही इन्हें नागरिकता देती थी, लेकिन साल 2016 के बाद देश भर के 16 जिला कलेक्टर को यह अधिकार दे दिए गए। पहले नागरिकता के लिए पासपोर्ट और वीजा जैसे दस्तावेज देना जरूरी होता था, लेकिन इस बाध्यता को खत्म कर दिया गया। इसके बाद भोपाल में भी कलेक्टर के माध्यम से भारतीय नागरिकता दी जाने लगी। चार महीने पहले ही तत्कालीन कलेक्टर आशीष सिंह ने भी 17 पाकिस्तानी नागरिकों को भारतीय नागरिकता के सर्टिफिकेट दिए थे।
इस तरह होती थी निगरानी
पहले पाकिस्तान-अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आए हिंदुओं, सिखों, बौद्धों, जैनियों, पारसियों और ईसाइयों को भारत में कम से कम 7 साल रहना जरूरी होता था। उसके बाद ही आवेदन करने के पात्र होते थे। यह समय अलग-अलग भी हो सकता है, लेकिन जिस साल आवेदन करते हैं, उसके पहले एक साल तक लगातार भारत में रहना जरूरी था।
इस दौरान पुलिस उनकी पूरी रिपोर्ट तैयार करती है। जिसे इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) को भेजा जाता है। आईबी पूरा रिकॉर्ड खंगालती। वीसा के बारे में जानकारी ली जाती है। IB की रिपोर्ट के आधार पर ही नागरिकता देने का निर्णय होता था।