भारत ने मालदीव में अपने सैनिकों को वापस लेने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। मालदीव के मिहारू अखबार के मुताबिक, अद्दु आइलैंड पर मौजूद भारत के 25 सैनिकों ने अब तक अपने देश की यात्रा आरंभ कर दी है। मिहारू ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि मालदीव की राष्ट्रीय रक्षा बल (MNDF) ने उन्हें इसकी सूचना दी है।
हालांकि, अभी तक भारत या मालदीव की ओर से इसकी पुष्टि नहीं की गई है। इससे पहले, 29 मई को मालदीव में भारतीय सैनिकों को प्रतिस्थापित करने के लिए 26 तकनीकी कर्मचारियों का पहला बैच मालदीव पहुंच गया था।
मालदीव में भारतीय हेलिकॉप्टर पर MNDF का नियंत्रण होगा। भारत के विदेश मंत्रालय के वकील रंधीर जयसवाल ने बताया- भारत और मालदीव के बीच हुए समझौते के अनुसार, भारतीय सैनिक 10 मई तक अपने देश लौट आएंगे। MNDF ने कुछ दिनों पहले घोषणा की थी कि मालदीव में मौजूद भारतीय हेलिकॉप्टर का नियंत्रण मालदीवी सेना के पास होगा।
हेलिकॉप्टर के ऑपरेटर भी मालदीव के रक्षा मंत्रालय के नेतृत्व में काम करेंगे। राष्ट्रपति मुइज्जू ने कहा कि 10 मई के बाद मालदीव में कोई भी भारतीय सैनिक नहीं रहेगा।
राष्ट्रपति के अनुसार, कुछ लोग अफवाह फैला रहे हैं कि भारतीय सैनिक देश छोड़ नहीं रहे हैं, बल्कि वे केवल टेक्निकल स्टाफ के रूप में यूनिफ़ॉर्म बदलकर देश लौट रहे हैं। मुइज्जू ने इन अफवाहों का खंडन करते हुए कहा- ‘भारतीय सैनिक यूनिफ़ॉर्म या सादे कपड़ों में भी देश में नहीं रहेंगे। मैं यह पूरे भरोसे के साथ कह सकता हूँ।’
मालदीव में क्या कर रहे हैं भारतीय सैनिक मालदीव में लगभग 88 भारतीय सैनिक हैं। वे दो हेलिकॉप्टर और एक विमान का प्रबंधन कर रहे हैं। आमतौर पर इनका उपयोग रेस्क्यू या सरकारी कामों में किया जाता है। मालदीव में भारतीय हेलिकॉप्टर और विमान मानवीय सहायता और चिकित्सा आपातकालीन स्थितियों में वहाँ के लोगों की मदद करते रहते हैं। इन ऑपरेशनों को संभालने के लिए ही तकनीकी स्टाफ भेजा गया है।
भारत ने 2010 और 2013 में मालदीव को दो हेलिकॉप्टर और 2020 में एक छोटे विमान के रूप में उपहार दिया था। इस पर मालदीव में काफी हंगामा हुआ था। मुइज्जू के नेतृत्व में विपक्ष ने तत्कालीन राष्ट्रपति सोलिह पर ‘इंडिया फर्स्ट’ नीति का आरोप लगाया था।