Saturday, July 27, 2024
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किन्हें होती है यह बाइपोलर डिसऑर्डर

बाइपोलर डिसऑर्डर एक गंभीर मानसिक विकार है, यह रेयर बीमारी है। इससे लगभग एक फीसदी लोग प्रभावित होते हैं यानी 100 में एक व्यक्ति इसकी चपेट में आता है। ज्यादातर लोगों को यह बीमारी अर्ली एडल्ट एज में प्रभावित करती है यानी आमतौर पर 18 से 22 साल की उम्र के लोग इसका शिकार बनते हैं।

-यह डिसऑर्डर क्यों होता है?

-इससे जिंदगी पर क्या असर पड़ता है?

-इसका क्या इलाज है?

-किन बातों का ख्याल रखना जरूरी है?

बाइपोलर डिसऑर्डर क्या है

बाइपोलर डिसऑर्डर एक तरह का मानसिक रोग है। इससे पीड़ित व्यक्ति आमतौर पर दो तरह के मूड से गुजरता है। वह कभी खुशी और एनर्जी से भरपूर महसूस करता है तो कभी अत्याधिक डिप्रेसिव मूड में चला जाता है। इस डिसऑर्डर से जूझ रहे लोगों में आत्महत्या की दर काफी ज्यादा होती है।

हनी सिंह को भी हुआ था बाइपोलर डिसऑर्डर

इंडिया में रैप म्यूजिक को फ्रंट लाइन इंडस्ट्री में लाने वाले स्टार रैपर और सिंगर हनी सिंह भी बाइपोलर डिसऑर्डर का शिकार हो चुके हैं। उन्हें यह मानसिक विकार तब हुआ, जब वह अपने करियर के टॉप पर थे। बाइपोलर डिसऑर्डर के बाद जैसे सबकुछ भरभराकर गिर पड़ा। वह लोगों के सामने आने से भी डरने लगे थे। इससे उबरने में उन्हें 5 साल लग गए। इसके लिए हनी सिंह को 7 डॉक्टरों की मदद लेनी पड़ी थी।

बाइपोलर डिसऑर्डर का कारण और इलाज

हॉर्वर्ड मेडिकल स्कूल की एक अध्ययन के अनुसार, बाइपोलर डिसऑर्डर आनुवांशिक रूप से 73 से 93 फीसदी लोगों में पाया जाता है। इसके अलावा, खराब लाइफस्टाइल और आसपास के माहौल भी इसमें जिम्मेदार हो सकते हैं।

बाइपोलर डिसऑर्डर के कारण

बचपन में हुए किसी भी ट्रॉमा, गंभीर सिर की चोट या HIV इंफेक्शन इसके कारण बन सकते हैं। अन्य कारक में यहां शामिल हैं वातावरण में बदलाव या प्रदूषण।

साइक्लोथाइमिया का मामला

अधिकांश लोग मैनिक और डिप्रेसिव एपिसोड से गुजरते हैं, हालांकि कुछ लोग साइक्लोथाइमिया का सामना करते हैं, जिसमें मैनिक और डिप्रेसिव दोनों कंडीशन होती हैं। इसमें किस एपिसोड से गुजर रहा है यह जान पाना मुश्किल होता है, लेकिन यहां इस बारे में पूर्ण जानकारी का महत्व है।

बाइपोलर डिसऑर्डर का इलाज

बाइपोलर डिसऑर्डर का इलाज करते समय पेशेंट की पूरी जाँच की जानी चाहिए। इसके लिए सबसे पहले फिजिकल एग्जाम किया जाता है, फिर मनोरोग मूल्यांकन और मूड चार्टिंग की जाती है। इसके बाद पेशेंट के मेंटल डिसऑर्डर की वजह का पता लगाया जाता है।

इलाज के रूप में दवाओं के साथ-साथ थेरेपी भी महत्वपूर्ण है। पेशेंट के मूड और लाइफस्टाइल के पैटर्न पर ध्यान दिया जाना चाहिए।

जिंदगी में खानपान का महत्व

खानपान और लाइफस्टाइल का भी बड़ा असर होता है। हेल्दी और बैलेंस्ड डाइट रखना जरूरी है। इसमें जौ, बाजरा, मक्के का आटा, मछली, सीड्स, नट्स, हर्बल चाय और डार्क चॉकलेट शामिल हो सकते हैं।

किन चीजों से बचें

शराब, सिगरेट, वीड्स, दही, पनीर, तली-भुनी चीजें आदि से बचना चाहिए।

सारांश

बाइपोलर डिसऑर्डर का इलाज करने के लिए सही खानपान, थेरेपी, और दवाओं का सही संयोजन बहुत महत्वपूर्ण है। इसके अलावा, नियमित एक्सरसाइज और काउंसिलिंग भी जरूरी है।

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