बाइपोलर डिसऑर्डर एक गंभीर मानसिक विकार है, यह रेयर बीमारी है। इससे लगभग एक फीसदी लोग प्रभावित होते हैं यानी 100 में एक व्यक्ति इसकी चपेट में आता है। ज्यादातर लोगों को यह बीमारी अर्ली एडल्ट एज में प्रभावित करती है यानी आमतौर पर 18 से 22 साल की उम्र के लोग इसका शिकार बनते हैं।
-यह डिसऑर्डर क्यों होता है?
-इससे जिंदगी पर क्या असर पड़ता है?
-इसका क्या इलाज है?
-किन बातों का ख्याल रखना जरूरी है?
बाइपोलर डिसऑर्डर क्या है
बाइपोलर डिसऑर्डर एक तरह का मानसिक रोग है। इससे पीड़ित व्यक्ति आमतौर पर दो तरह के मूड से गुजरता है। वह कभी खुशी और एनर्जी से भरपूर महसूस करता है तो कभी अत्याधिक डिप्रेसिव मूड में चला जाता है। इस डिसऑर्डर से जूझ रहे लोगों में आत्महत्या की दर काफी ज्यादा होती है।
हनी सिंह को भी हुआ था बाइपोलर डिसऑर्डर
इंडिया में रैप म्यूजिक को फ्रंट लाइन इंडस्ट्री में लाने वाले स्टार रैपर और सिंगर हनी सिंह भी बाइपोलर डिसऑर्डर का शिकार हो चुके हैं। उन्हें यह मानसिक विकार तब हुआ, जब वह अपने करियर के टॉप पर थे। बाइपोलर डिसऑर्डर के बाद जैसे सबकुछ भरभराकर गिर पड़ा। वह लोगों के सामने आने से भी डरने लगे थे। इससे उबरने में उन्हें 5 साल लग गए। इसके लिए हनी सिंह को 7 डॉक्टरों की मदद लेनी पड़ी थी।
बाइपोलर डिसऑर्डर का कारण और इलाज